त्युर_राजवंश (पाल सूर्यवंशी ) आज आपको उत्तराखंड के सबसे पुराने राजवंश से अवगत करवाते है । उत्तराखंड पर आज तक कत्यूरियो के अतिरिक्त कोई भी राजवंश एकछत्र राज नही कर पाया चाहे गढ़वाल का परमार राजवंश हो या चंद राजवंश । उत्तराखंड का सबसे पुराना राजवंश है । कत्यूरियो के राज स्थापना के बारे मैं अलग अलग राय है ईसा के 2500 पूर्व से 7वी सदी तक इनका शासन एक छत्र रहा । उसके बाद चंद राजाओं ने इनके शासन का अंत किया । इनकी राजधानी अस्कोट है कहा जाता है एक समय वह अस्सी कोट थे इस वजह से अस्कोट नाम भी पड़ा जो अब भी पिथोरागढ़ जिले में है । कत्युरी प्राचीन सूर्यवंशी राजपूत माने जाते है शालिवाहन देव इनके मूल पुरुष है जो अयोध्या से आकर यहाँ अपना साम्राज्य बनाया । इनके राज्य का विस्तार पूर्व में सिक्किम से पश्चिम में काबुल तक था बंगाल में मिले शिलालेखो इनके शिलालेखों से मिलते है जिस से इनके राज्य के विस्तार के संभावना बनती है । कुछ शिलालेख बिहार के मुंगेर और भागलपुर से भी मिले है जो वैसे ही है जैसे शिलालेख कत्यूरियो के है एकमात्र सूर्य मंदिर जो उत्तराखंड में है वो कत्युरी राजाओ का ही बनाया हुआ है इसके आलावा अस्कोट का किला भी इन्होने ही बनवाया और भी कई किलो का निर्माण कराया नौले बनवाए शिव मंदिर बनवाये । इस से राज्य विस्तार की उड़ीसा और बिहार तक होने की सम्भावनाये है । इसमें कोई संदेह नही की ये प्रतापी राजा हुए है । 13वी शताब्दी में इनकी एक शाखा भारी सेना लेकर नए राज्य स्थापना को अलखदेव और तिलकदेव के नेतृतव में गोंडा बस्ती गोरखपुर की और आई और अपना नया राज्य बसाया जो की महासु स्टेट के नाम से आज भी स्थित है जो की बस्ती जिला उत्तरप्रदेश में है । चन्द राजाओ के आअने के बाद इनका राज्य छिन भिन्न हो गया कई जगहों से चंदो ने इनको निकाल भगाया कई जगहों पर ये चंदो के अधीन छोटे मोटे जमींदार या प्रशासक बन गये । राजघराने के लोग अब रजबार कहलाते है रजबार मल्ल ,शाही,बम,मनराल, कड़ाकोटि,कैंतुरा गुसाई आदि शाखाओ में बंट गये शाही --अर्जुनदेव के वंशज । चोकोट के रजबार -किशनदेव के वंशज । मनराल -लाडदेव के वंशज । डोटी के मल्ल - नागमल्ल के वंशज । कुछ लोग गुसाई पदवी का प्रयोग सरनेम की तरह करते है । चोकोट में इनकी कुलदेवी का मन्दिर है कुछ लोग मनिला देवी को भी इनकी कुलदेवी कहते है जो सल्ट पट्टी अल्मोड़ा मे है ।
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